Tuesday, October 08, 2013

कुछ अमर फ़िल्मी गीत - आगाज़ से अंजाम तक...

परदे पर दिखने फिल्म में परदे के पीछे भी बहुत कुछ ऐसा घटित होता जो उस फिल्म के इतिहास का हिस्सा बन जाता है। हालाँकि परदे के पीछे के इस इतिहास की खबर आम लोगों तक कम ही पहुँच पाती है। चलिए ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्सों केसाथ आज इस ब्लॉग पोस्ट का सफ़र पूरा करते हैं। सबसे पहले बात करते हैं एक ऐसे गीत की जिसे गुलज़ार साहब ने लिखा और पंचम दा यानि आरडीबर्मन जी ने संगीत से सजाया था
बात उस वक़्त की है जब गुलज़ार साहब फिल्म इजाज़त का निर्माण कर रहे थे। फिल्म के गीत लिखने के बाद गुलज़ार साहब काफी उत्साहित थे। उन गीतों को संगीत का जामा पहनाने की ज़िम्मेदारी वो पंचम दा को देना चाहते थे। पंचम दा के पास पहुँच कर जब उन्होंने वो गीत उन्हें सुनाया तो पंचम दा का गुस्सा सातवें आस्मां पर पहुँच गया, उन्होंने गुलज़ार साहब को गुस्से से कहा कि क्या वाहियात बोल लिखे हैं? कल अगर तुम कोई अख़बार उठाके ले आओगे और मुझसे कहोगे कि इसके लिए संगीत तैयार करो तो क्या मुझे वो भी करना पड़ेगा? पंचम दा के गुस्से की लौ ठंडा होने पर गुलज़ार साहब ने बड़े आत्म विश्वास के साथ उन्हें कहा कि इस गीत का संगीत तुम्ही ही दोगे और ये गीत इतिहास रचेगा। और शब्दों की इस जादूगर की ये बात सच निकली, वाकई वो गीत बना, हिट हुआ और उसने इतिहास भी रचा फ़िल्म इजाज़त के इस गीत ने सिर्फ फिल्म प्रेमियों के दिलों पर राज किया बल्कि राष्ट्रीय पुरसकार हासिल कर अमर गीतों की श्रेणी में अपनी जगह भी सुरक्षित कर ली और वो गीत था......
मेरा कुछ समां तुम्हारे पास पड़ा है, सावन के कुछ भीगे भीगे पल रखे हैं
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है, वो रात भुझा दो मेरा वो सामान लौटा दो......
यहाँ से आगे बढते हैं और बात करते हैं देव आनंद की फिल्म गाइडकी इस फिल्म के गाने इतने मीनिंगफुल हैं कि अक्सर ये गीत ज़िन्दगी के यादगार पलों का हिस्सा बन जाते हैं इस फिल्म के गाने लिखने का काम पहले हसरत जयपुरी साहब को सौंपा गया था लेकिन हसरत साहब और एस.डी बर्मन साहब के बीच हुई किसी नोक-झोंक के चलते इस फ़िल्म के गाने लिखने के लिए विजय आनंद जी ने शैलेन्द्र साहब को चुना। ये दोनों इससे पहले फिल्म काला बाजारमें एक साथ काम कर चुके थे। शैलेन्द्र ने फिल्म की सिचुएशन को ध्यान में रखते हुए एक गीत का मुखड़ा लिखा -
आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है......
ये बोल सचिन दा को जब सुनाये गए तो वो खुशी से झूम उठे। लेकिन मुखड़े के बाद अंतरे की पंक्तियाँ शैलेन्द्र साहब को सूझ नहीं रही थी। दो-चार दिन निकल गए। गोल्डी ने उनसे पूछा तो शैलेन्द्र ने कहा आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा हैइसके बाद क्या कहा जाये समझ में नहीं रहा तब गोल्डी ने कहा ऐसा लिखो कि आज जीने की तमन्ना क्यों हुई, फिर मरने का इरादा क्यों है??” यह सुनते ही शैलेन्द्र को अंतरे की आगे की दो और पंक्तियाँ एकदम से दिमाग में गई और गाना कुछ इस तरह मुकम्मल हुआ..
काँटों से खींच के ये आँचल, तोड़ के बंधन बाँधी पायल,
कोई रोको दिल की उड़ान को, दिल वो चला...... .......
आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है......
ये बोल सुनते ही गोल्डी ख़ुशी से बोले वाह ऐसे शब्द और ऐसी भावना तो सिर्फ कबीर जी ही लिख सकते हैं।' और वाकई इस गीत ने सफलता की जिन बुलंदियों को छुआ वहां तक पहुँचने का खवाब लिए कई गीतों की पीढियां आई और गुज़र गयी।
एक और गीत इस वक़्त मेरे ज़हन में रहा है वो है आन मिलो सजनाफिल्म का मशहूर गीत अच्छा तो हम चलते हैंइस गीत के बोल आनंद बक्शी जी ने लिखे थे और उन्हें संगीत में पिरोया था संगीत सम्राट लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी की जोड़ी ने इस गाने का इतिहास भी काफी दिलचस्प है। आनंद बक्शी जी लक्ष्मी प्यारे के साथ बैठे सोच रहे थे की हीरो और हिरोइन के बीच अगली मुलाकात का वादा लेना है इसके लिए क्या बोल लिखे जाये?
काफी मशकत के बाद जब कुछ हाथ नहीं लगा तो लक्ष्मी प्यारे ने जाने की इजाज़त मंगाते हुए कहा अच्छा तो हम चलते हैंआनंद बक्शी ने यूँ ही रस्मी तौर पर पूछा  कि फिर कब मिलोगेइतना सुनते ही सभी के चेहरे पे एक मुस्कान गयी क्योंकि यही बात तो वो अपने हीरो और हिरोइन से कहलवाना चाहते थे। ये गाना भी बना और अच्छा खासा हिट हुआ।
अब चलते चलते बात करते हैं एक अधूरे गाने की ये गीत है फिल्मशोरका जिसके वाइलैन की धुन आज भी प्रेम रोगियों के दिलों पर मरहम का काम करती है। मजरूह साहब के लिखे इस गीत को संगीत दिया था लक्षमीकांत प्यारे लाल ने और गीत के बोल हैं इक प्यार का नगमा है।इस फिल्म का एक अन्तरा जो कभी रिलीज़ नहीं किया गया, उसके बोल कुछ इस तरह से थे......
जो बीत गया है वो फिर दौर आएगा, इस दिल में सिवा तेरे कोई और आयेगा
घर अपना फूँक चुके अब राख उठानी है, ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है
इक प्यार का नगमा है......

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