Saturday, October 12, 2013

हिंदी फिल्में और बारिश...


आजकल की फिल्मों में सिचुएशनल सॉन्ग्स का इस्तेमाल कम होता जा रहा है. या यूं कहें कि अब हिंदी फिल्मों में सिचुएशनल सॉन्ग्स की मौजूदगी लगभग ना के बराबर हो चुकी है. हालाँकि इस तरह के सांग्स हमेशा ही ऑडियंस को अट्रैक्ट करने में हेल्पफुल रहे हैं. बावजूद इसके होली, दीवाली, ईद, बैसाखी के मेले जैसी सिचुएशंस अब किसी कहानी की डिमांड नहीं कहलाते. आजकल की फिल्मों में कहानी की डिमांडके नाम पर अगर कुछ परोसा जाता है तो वो है हीरो हीरोइन के बीच की इंटिमेसीजिसे दिखाने केलिए या तो उन्हें बेडरूम में ले जाया जाता है या फिर सदियों पुराना फोर्मुला अपनाते हुए उन्हें बारिश में भिगोया जाता है. इसलिए कहानी की डिमांड के नाम पर अब रेन सॉन्ग्सही देखने-सुनने को मिलते हैं. और क्यों ना हो आखिर बारिश में फिल्माए जाने के कारण ही तो सीन या सॉन्ग की खूबसूरती और रोमांस और भी निखर जाता है.
बारिश का सहारा लेके हीरो-हीरोइन के प्यार को परवान चढाने की परम्परा फिल्मों में नई नहीं है ५० के दशक में राज कपूर और नरगिस पर फिल्माया गाना 'प्यार हुआ इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यों डरता है दिल' और किशोर कुमार-मधुबाला का बहुत ही फेमस 'एक लड़की भीगी भागी सी, सोती रातों में जागी सी' गीत से हर पीढ़ी को प्यार है. फिल्म में अपने पहले प्यार की पहली चिट्ठी सुनने-सुनाने केलिए राजेश खन्ना और जीनत अमान ने भी बारिश का सहारा लेते हुए 'भीगी भीगी रातों में, ऐसी बरसातों में कैसा लगता है' की धुन छेडी थी जोकि आजतक पुरानी नहीं हुई.
इस परम्परा में शामिल हुए फिल्म "मंजिल" में अमिताभ पर फिल्माया गाना "रिमझिम गिरे सावन" के अलावा दो-झूठफिल्म का गीत छतरी ना खोल, उड़ जायेगी”, सबकफिल्म में बरखा रानी ज़रा जम के बरसो”, 1942 लव स्टोरी' में रिमझिम- रिमझिम, भीगी-भीगी रुत में तुम हम-हम-तुम”, 'सरफरोश' फिल्म में जो हाल दिल का इधर हो रहा है”, "दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे" में "मेरे खवाबों में जो आये", फिल्म 'मोहरा' का टिप टिप बरसा पानी”, 'फना' फिल्म में 'ये साजिश है बूंदों की', फिल्म थ्री ईडीअटस में ज़ूबी-डूबी, ज़ूबी-डूबीने बारिश की फुहारों से दर्शकों के मन को भिगोने का सिलसिला जारी रखा. यहाँ तक की यश चोपड़ा की सुपर-डुपर हिट फिल्म "चांदनी" में तो एक साथ दो बारिश के गीत रखे गए थे. एक में श्री देवी के हुस्न की बिजलीयाँ गिरता गीत "परबत से काली घटा टकराई" और दूसरे में विनोद खन्ना को उसकी बीती ज़िंदगी कि यादों में भिगोता "लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है" गाने आज भी बारिश के सदा बहार गीतों की लिस्ट का हिस्सा हैं. दरअसल इस तरह के सांग्स कहानी को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अक्सर फिल्म की यूएसपी भी बन जाते हैं।
बारिश में फिल्माए गए गाने सिर्फ रोमांस का ही ट्रेडमार्क नहीं है. इस बात को साबित करते हुए शो मैन राजकपूर ने एक कदम आगे बढते हुए बारिश की रिमझिम फुहार में अकेले ही एक अलबेला-मतवाला गाना डम-डम-डिगा-डिगा, मौसम भीगा-भीगाभी गाया था. इसी तरह मनोज कुमार ने भी अपनी फिल्मों में बारिश के साथ कभी भूख और कभी गुलामी की जंजीरों को जोड़ने का करिश्मा कर दिखाया. फिल्म शोरमें मनोज ने बारिश का इस्तेमाल दर्शकों के सामने रोमांस परोसने केलिए नहीं बल्कि भूख-हड़तालपर बैठे गरीब मजदूरों के आंसुओं को आवाज़ देने केलिए किया और फिर उसके बाद फिल्म "क्रांति" में अंग्रेजों के गुलाम बने प्रेमी-प्रेमिका के बीच प्यार और ज़िंदगी की कड़ियों को जोड़ने केलिए भी मनोज कुमार ने बड़ी खूबसूरती के साथ बारिश की फुहारों का इस्तेमाल किया.
कुल मिला कर बारिशही एक ऐसी सिचुएशन है जिसके लिए आदि से लेके अंत तक हिंदी फिल्मों की कहानी में डिमांड बरक़रार रहेगी.

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